श्रीमद् भागवत कथा पुराण चतुर्थी स्कंध अध्याय 23

श्रीमद् भागवत कथा पुराण चतुर्थी स्कंध अध्याय 23 आरंभ

राजा प्रीत का त्याग एवं अरुचि का सती होना एबी दूर वन में राजा प्रीत में जाकर कठिन तप करना प्रारंभ किया गर्मी के मौसम में में कठिन धूप में बैठकर प्रभु का ध्यान करते एवं बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठे रहते तथा कड़ाके की सर्दी जाड़े का मौसम का आगमन होने पर शीतल जल में खड़े होकर उन्होंने प्रभु का ध्यान हम स्मरण किया इस तरह तब करते हुए जब कई वर्ष बीत गए तब उन्हें विचार किया कि अब इस नश्वर शरीर का त्याग कर प्रभु श्री नारायण के धाम चलना चाहिए यहां नीचे करके उन्हें 1 दिन योग क्रिया द्वारा त्रिलोकीनाथ के चरणों का ध्यान करते हुए ब्रह्मांड की राह से अपने प्राण को तंग से निकाल दिया मृत शरीर धरती पर पड़ा रह गया राजा प्रीत के मृत शरीर को देखकर उनकी पत्नी अरुचि को बहुत दुख हुआ और बहुत सोच-विचार कर वह जंगल में प्रविष्ट हुए और लड़कियां बटोर कर लाए और चिंता तैयार की उस पर राजा के पीठ शरीर को रखकर उसमें आग लगाने के बाद हाथ जोड़कर चिंता की सात परिक्रमा करके बोले थे स्वामी आपके बिना मैं जीवित नहीं रह सकती अतः मुझे छोड़कर आप जहां गए वहीं मैं भी आ रही हूं यह कह कर राजा प्रीत की पत्नी और उसी में अग्नि देव को प्रणाम करते हुए बोली हे अग्निदेव आप तो देवता हाय मेरे स्वामी जिस स्थान को गए हैं वही मुझे भी पहुंचा दीजिए यह कह कर धू धू करके जल रही चिंता में प्रसन्नता पूर्वक जा बैठी और राजा केतन के साथ सती हो गई

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Chaturthi Skandha Chapter 23 Beginning

King Preet's renunciation and disinterest became sati by going to Raja Preet in a distant forest and started doing hard penance, sitting in the harsh sun in the summer, meditating on the Lord and sitting under the open sky during the rainy season and cold winter Standing in the cold water on the arrival of the winter season, we remembered the Lord while doing this, when many years had passed, then he thought that now leaving this mortal body, he should go to the abode of Lord Shree Narayan down here. By meditating on the feet of Trilokinath by doing yoga for one day, he removed his life from the path of the universe, the dead body was left lying on the earth. Seeing the dead body of King Preet, his wife Aruchi felt very sad and thought a lot- After thinking, he entered the forest and gathered girls and prepared worry, after placing the king's back body on it, after setting fire in it, folded his hands and said after doing seven rounds of worry, without you, I cannot survive, so you leave me. Wherever I went, I am also coming, saying that the wife of King Preet and in the same While saluting the god, he said, oh god, oh god, oh my lord, please take me to the same place where you have gone, saying this, after saying this, she sat happily in the burning worry and became sati with King Ketan.

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