श्रीमद्भागवत पुराण कथा तृतीय स्कंध नवा अध्याय

श्रीमद् भागवत कथा पुराण नवा अध्याय 

संसार की उत्पत्ति का वर्णन

ब्रह्मा जी का प्रभु के दर्शन पाने तक की कथा एवं का वर्णन मैथिली जीके मुखारविंद उसे सुनकर विदुर जी बोले हे मुनि श्रेष्ठ मथिली जी प्रभु का दर्शन लाभ प्राप्त करने के पश्चात ब्रह्मा जी ने क्या किया मेरे पूछने का तात्पर्य यह है कि सृष्टि का निर्माण किस प्रकार किया तब मैथिली जी बोले हे ज्ञानी महात्मा विदुर हा दीवाना अनंत सच्चिदानंद प्रभु ने ब्रह्मा जी को आदेश दिया और सृष्टि की रचना हेतु समस्त सामर्थ्य प्रदान किया जिससे ब्रह्मा जी को प्रभु के विराट रूप में अग्नि जल वायु आकाश पृथ्वी दिखाई देने लगी यह देखकर ब्रह्माजी को अत्यंत आनंद हुआ और प्रभु के विराट रूप से इन पांचों तत्वों को प्राप्त कर उन्हें सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया सर्वप्रथम पृथ्वी की रचना की तत्पश्चात पंच तत्वों को एक रूप देखकर मनुष्य एवं देवताओं की रचना की तथा पांच तत्वों को अलग-अलग भी स्थान प्राप्त किया मनुष्य के निर्माण में अपनी मानसिक क्रिया का भी समावेश किया जिससे वह आवश्यकतानुसार सुख एवं दुख का अनुभव करें फिर उस कमल पुष्प को जिस पर विराजमान थे उस को आधार मानकर 7 भुजा ऊपर तथा 7 भुजा नीचे बनाया इस तरह 14 भुजा का निर्माण किया फिर सतयुग द्वापर युग त्रेता युग एवं कली युग नाम से चार युग का निर्माण किया युग निर्माण के उपरांत ब्रह्मा जी के मन में विचार आया कि युग  का निर्माण तो माय कर चुका किंतु जब तक समय का निर्माण नहीं करूंगा तब तक युगों का कोई महत्व ही सीखना होगा यह सोच कर उन्होंने क्रमशाह वर्ष माह पार्क 1 महीने में 2 पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष वार अर्थात दिन एवं रात घड़ी एवं क्षण का निर्माण किया जिससे समय की संज्ञा होने प्रदान की इस समय रूपी निरंतर चक्र के चलते रहने से देवता मनुष्य एवं दैत्य की आयु पूरी होती है किंतु देवता देवता एवं मनुष्य की आयु निश्चित करने वाले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की आयु मैं निश्चित है ब्रह्मा जी की आयु 108 वर्ष है किंतु उनकी उम्र का 1 दिन 14 मानव अंतरण के बराबर होता है एक मन आमंत्रण 71 चतुर योग के बराबर होता है अर्थात 994 चतुर यू के वितरित होने पर ब्रह्मा जी का एक दिन पूर्ण होता है और इस तरह का 30 दिन ब्रह्मा जी एक महान बनाता है और 12 माह का 1 वर्ष होता है और एक एक करके 100 वर्ष पूर्ण होने पर ब्रह्मा जी की निर्धारित आयु पूर्ण होती है दिन के समय ब्रह्मा जी प्राणियों की रचना करते हैं और रात्रि काल का आगमन होते-होते सृष्टि का पर्याय हो जाता है और तत्पश्चात पुनः जब ब्रह्मा जी के दिन का आगमन होता है तब कर्म अनुसार प्राणियों को नई योनि प्रदान करते हैं सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी की भी मृत्यु होती है अर्थात जब उनके 100 वर्ष पूर्ण हो जाते हैं तब वह भी मृत्यु प्राप्त होते हैं किंतु उस समय महा प्रलय का दिन होता है चारों तरफ अन्यथा जल राशि का दृश्य होता है ठीक उसी प्रकार जैसे महासागर के मध्य पहुंचकर प्राणी अपने चारों तरफ दृष्टि घुमा कर देखें तो उसे जल के सिवाय कुछ भी दिखाई ना देगा ऐसा ही पहले कारी दृश्य महा प्रलय काल में होता है सब कुछ विलीन हो जाता है केवल एक शक्ति बची है जिसे हम अजमान कहते हैं आदि पुरुष कहते हैं जो ना तो कभी जन्म लेता है और ना ही कभी उसकी मृत्यु होती है एबी दूर जी यह एक ब्रह्मांड के सृजन एवं पर लाइक देखा था मैंने आपको सुनाई है यदि प्रभु सच्चिदानंद के मन में कभी कोई ब्रम्हांड बनाने का विचार उभरे तो वह क्षण मात्र से हजारों ब्रह्मांड का निर्माण कर सकते हैं और इच्छा अनुसार पल भर में नाज भी कर सकते हैं हमारी आंखें जो कुछ भी दे रहे हैं हमारे कान जो कुछ भी सुन रहे हैं सब उन्हीं का दिन है उन्हीं की कृपा से मानव चल फिर रहा है बोल रहा है मनुष्य कर्म भी उसी की माया का एक ग्रुप है अन्यथा प्राणी मात्र को अपने कल्याण हेतु अपनी मुक्ति हेतु उन्हीं के नाम का ध्यान भजन करना चाहिए पालनहार अत्यंत कृपालु हैं उनकी कृपा से भवसागर पार होने में किसी प्रकार की कठिन था ना होगी हे विदुर जी आप तक मैं आपको ब्रह्मा जी की उत्पत्ति से लेकर सृष्टि संरचना का वृतांत सुना रहा था किंतु सृष्टि संरचना के पश्चात ब्रह्मा जी ने कौन सा कार्य किया जो प्रभु श्री हरि को अत्यंत प्रिय लगा विदुर जी बोले आप तो ज्ञान के भंडार हैं मैथिली जी आपके समक्ष प्रश्न पूछने की धृष्टता करना माय उचित नहीं समझता तथा आपी आप मेरे मन की बात को समझने की सामर्थ से पूर्ण है मैं जानता हूं कि आगे का वृतांत आप स्वयं मुझे बस लाने की कृपा करें फिर भी अपने मन की जिज्ञासा को दबा नहीं पा रहा हूं अतः आप शृष्टि की विविधता का ज्ञान मुझे प्रदान करें जिससे मेरा अधीर मन शांत हो सके

Shrimad Bhagwat Katha Purana New Chapter

Description of the origin of the world

The story and description of Brahma ji till he got the darshan of the Lord, Maithili GK Mukharvind, hearing him, Vidur ji said, O sage best Maithili ji, what did Brahma ji do after getting the benefit of the Lord's darshan. Then Maithili ji said, O wise Mahatma Vidur Ha Deewana Anant Sachchidanand Prabhu ordered Brahma ji and gave all the power for the creation of the universe, so that Brahma ji started seeing fire, water, air, sky and earth in the vast form of God. He was very happy and after getting these five elements from the cosmic form of the Lord, he started the work of creation of the world, first of all, after seeing the five elements in one form, created man and the gods and also made the five elements separately. He also included his mental action in the creation of man so that he may experience happiness and sorrow as per the requirement, then taking the lotus flower on which he was seated as the basis, made 7 arms up and 7 arms down, thus making 14 arms. did Then he created four yugas namely Satyug, Dwapar Yuga, Treta Yuga and Kali Yuga. Thinking that he has to learn, he has created two sides in the first month, Krishna Paksha and Shukla Paksha wise, that is, day and night, by thinking that he has to be named as time, due to the continuous cycle of this time. The age of the deity, man and the demon is complete, but the age of the creator Brahma ji, who determines the age of the deity and the human being, is certain in me, the age of Brahma ji is 108 years, but 1 day of his age is equal to 14 human transfers. 71 is equal to Chatur Yoga i.e. one day of Brahma ji is complete if 994 Chatur U are distributed and 30 days like this makes Brahma ji a great and 12 months is 1 year and one by one completes 100 years When the prescribed age of Brahma ji is completed, Brahma ji is the protector of the creatures during the day. They eat gram and by the time the night comes, they become synonymous with the creation, and after that, when the day of Brahma ji comes again, then according to karma, they give new vagina to the creatures, Brahma ji, the creator of the universe, also dies. When their 100 years are completed, then they also die, but at that time there is a great doomsday, otherwise there is a view of the water sign all around, in the same way as when a creature reaches the middle of the ocean by turning its gaze around itself. He will not see anything except water, similarly the first scene happens in the Great Holocaust, everything dissolves, there is only one power left, which we call Ajman, the Adi Purush, which is neither born nor ever. Sometimes he dies AB Door ji, it was seen the creation of a universe and the like, I have told you that if the idea of ​​creating a universe ever emerges in the mind of Lord Satchidananda, then he can create thousands of universes from a mere moment and according to his wish. In a moment, our eyes can be proud of whatever our ears are giving. Whatever they are listening to, it is their day, by their grace, human beings are walking and speaking, human karma is also a group of his Maya, otherwise only the creature should meditate on his name for his salvation for his welfare. The Lord is very kind, by his grace there was no difficulty in crossing the ocean of the universe, O Vidur ji, till you, I was telling you the story of the creation of Brahma ji to the creation of the universe, but what work did Brahma ji do after the creation of the universe? Did what Lord Shri Hari liked very much, Vidur ji said that you are a storehouse of knowledge, Maithili ji, I do not think it proper to have the audacity to ask questions in front of you and you are full of ability to understand my mind, I know that further You yourself please bring me the bus, yet I am not able to suppress the curiosity of my mind, so please give me the knowledge of the diversity of the universe, so that my impatient mind can be calmed. 


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