श्रीमद् भागवत कथा पुराण द्वितीय स्कंध आरंभ

श्रीमद् भागवत कथा पुराण द्वितीय स्कंध आरंभ अध्याय 9

चार मूर्ख लोगों का हॉल श्री सुखदेव जी ने परीक्षित को समझाया हे राजन जिसने आम सृष्टि के रचनाकार के रूप में जानते हैं उनकी उत्पत्ति प्रभु के नाभि कमल से हुई तो उन्होंने यह जानने की बहुत कोशिश की कि मैं कहां से उत्पन्न हुआ किंतु बहुत विचार करने के उपरांत भी उनके रूप को ना जान सके उनकी रची हुई मायाक भेद ब्रह्मा जी भी ना जान सके तो सांसारिक मनुष्यों की सामर्थ ही क्या है ब्रह्मा जी उसी कमल पर बैठे रहे उसके पश्चात आकाशवाणी द्वारा श्रीमद् भागवत के चारों मूल श्लोक सुनाएं दिए और आकाशवाणी की आज्ञा से घोर तप किए तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन 100 लोगों का अर्थ ज्ञात हुआ और फिर ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया आकाशवाणी द्वारा जो चार श्लोक ब्रह्मा जी ने सुना हे राजन उसका अर्थ इस प्रकार है राजा परीक्षित को समझते हुए महात्मा सुखदेव जी बोले हे ब्रह्मा जो सबसे पहले था वह मैं हूं मुझे छोड़कर अन्य कोई भी तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है महा प्रलय में सब कुछ नष्ट हो जाएगा पेड़-पौधे जीव जंतु नाभचर जलचर और पृथ्वी भी विलीन हो जाएगी सिर्फ हमारे रहूंगा ठीक उसी प्रकार जैसे अंग प्रत्यंग में धारण किए जाने वाले स्वर्ण आभूषणों के नाम अलग-अलग होते हैं किंतु भट्ट बल्कि सोना समझो अनेक रूप धारण करके अलग-अलग नामों से मैं पृथ्वी पर प्रकट होता हूं प्राणियों को जन्म देकर सामर्थ्य वाहन मै ही बनता हूं और उनके समर्थ का हनन भी मैं ही करता हूं जब मेरी अकेले रहने की इच्छा होती है तो पर ले कर देता हूं यह ब्रह्मा मेरे अलावा जगत के समस्त वस्तु ना सूअर है झूठी है अगर सत्य है तो वह जो मैं हूं जिओ का प्रणाम मैं हूं समस्त जगत को प्रकाशित करने वाला मैं हूं जब मेरा प्रकार प्राणियों के शरीर से अलग होकर पुनः मेरे पास आ जाता है तो प्राणी मृत हो जाता है मनुष्यों में / 4 वनों में मेरा एक स्वरूप है अतः सभी जीवो को एक समान समझना चाहिए मैं मोतियों की माला का धागा हूं जिसके बिना मोतियों का कोई मूल्य नहीं आता संसारी माया में ना फंसे और मेरे नाम का तब करो तभी तुम मेरा दर्शन लाभ कर सकोगे और तुम्हें जिओ की रचना करना है किंतु मन में दया भाव रखकर सृष्टि की रचना करने में तुम्हें किसी प्रकार का दुख ना होगा ज्ञानी महात्मा लोग तुम्हारे नाम का जप करके अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करेंगे एवं तुम मेरे सुषमा चतुर्भुज रूप का ध्यान करो तब करो तपस्या मेरे ह्रदय है और मैं उसकी आत्मा इससे मेरी आज्ञा मानकर संसारी वस्तुओं को झूठा समझना सत्य केवल मैं ही हूं और मैं ही रहूंगा ऐसा कह कर आकाशवाणी शांत हो गई तब सुखदेव जी राजा परीक्षित से बोले हे राज ब्रह्मा जी ने प्रभु द्वारा बताए गए चारों श्लोकों का सार केवल नारद जी को समझाया आपने अन्य पुत्रों को नहीं नारद जी ने वेदव्यास जी को और मेरे पिता श्री वेदव्यास जी ने मुझे बताया और उसी मोक्ष प्रदान करने वाले प्रभु के चरित्र रूप श्रीमद् गवत की कथा का पान मैं तुम्हें करा रहा हूं श्रीमद्भागवत में 10 कथाएं हैं जिन्हें मैं एक एक कर तुम्हें सुनाता हूं तुम ध्यान देकर कथा का श्रवण करो

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Shrimad Bhagwat Katha Purana Second Skandha Beginning Chapter 9

Hall of Four Fools Shri Sukhdev Ji explained to Parikshit, O Rajan, who is known as the creator of the common universe, he originated from the navel lotus of the Lord, so he tried a lot to know from where I was born, but after thinking a lot. Even after this, even after Brahma ji could not know his form, even if Brahma ji could not know his creation, then what is the power of worldly human beings, then Brahma ji sat on the same lotus, after that through Akashvani narrated the four basic verses of Shrimad Bhagwat and the voice of Akashvani After doing severe penance with the permission, he attained knowledge and the meaning of those 100 people came to be known and then Brahma ji created the world, the four verses that Brahma ji heard through Akashvani, its meaning is as follows, understanding King Parikshit, Mahatma Sukhdev ji said, oh Brahma, who was the first, he is me, except me, no one is visible to you. like those worn in the limbs The names of gold ornaments are different, but consider it to be gold rather than gold, taking many forms, I appear on the earth by different names, giving birth to beings, I become the vehicle of power and I also destroy their power when If I want to be alone, then I take it away, this Brahma is all the things in the world except me, it is false, if it is true, then I am the one who I am, I am the one who illuminates the whole world, when my type After separating from the body of living beings and comes again to me, then the creature becomes dead. Now don't get trapped in worldly Maya and do my name then only you will be able to benefit from my philosophy and you have to create life, but you will not have any kind of sorrow in creating the world by keeping compassion in your mind. You will achieve the goal of your life by chanting and you will meditate on my Sushma Chaturbhuj form. Crying penance is my heart and my soul obeying my orders and considering the worldly things to be false, only I am the truth and I will remain, the Akashvani calmed down by saying this, then Sukhdev ji said to King Parikshit, O king Brahma ji told by the Lord The essence of the four shlokas was explained to Narad ji only, not to other sons, Narad ji told Ved Vyas ji and my father Shri Ved Vyas ji told me and I am making you drink the story of Shrimad Gavat as the character of God who bestows salvation. There are 10 stories in Shrimad Bhagwat which I narrate to you one by one, listen carefully to the story. 


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