श्रीमद्भागवत पुराण सुखसागर अध्याय 6

श्रीमद् भागवत कथा सुखसागर अध्याय 6 आरंभ

नाराज जी तोहरा आपने पूर्व जन्म की कथा का नाम नारद जी बोले एबीआरसी आकाशवाणी के पश्चात प्रभु ने एक बिना मुझे दिया जिससे कि इस समय भी आप मेरे पास देख रहे हैं बिना लेकर मैं नारायण का भजन करने लगा भजन करते समय नारायण के प्रेम में डूब कर हमेशा मेरी यह इच्छा होती है कि अब इस तन से मुक्ति मिले और दूसरा जन्म लेकर प्रभु के दर्शन करो प्रभु की कृपा हुई और 1 दिन हुआ दांत टूट गया और नारायण की कृपा से दूसरे जन्म में ब्रह्मा का बेटा हुआ उनके अंगूठे से उत्पन्न होकर मैंने अपने पूर्वजन्म की बात प्रभु की कृपा से याद रखें और हर समय यही इच्छा करता हूं नारायण के भजन करने लगा कि शीघ्र ही उनका दर्शन मुझे प्राप्त हो इसी कारण माय सांसारिक माया एवं गृहस्थ जीवन में नाफसा बाल ब्रह्मचारी रहकर हरि का भजन सुमिरन में  रहने लगा अब मेरा यह हाल है कि जिस समय मैं सांवली सूरत वाले बांके बिहारी का ध्यान करता हूं उसी समय तारणहार मुझ को दर्शन देकर कृत करते हैं ठीक उसी तरह जैसे निमंत्रण पाकर कोई आता है और या प्रभु का पता भी है कि 39 लोग में जहां कहीं भी मेरी जाने की इच्छा होती है वहीं पहुंच जाता हूं मुझे किसी जगह जाने की मनाही नहीं है इसलिए है बिहार जी आप ही परमेश्वर की लीलाओं का वर्णन करके उनकी कृपा प्राप्त करो उनके दर्शन कर अपने जीवन को धन्य बनाएं

Shrimad Bhagwat Katha Sukhsagar Chapter 6 Beginning

Annoyed ji Tohra, you said the name of the story of the previous birth, Narad ji, after ABRC Akashvani, the Lord gave it to me without one, so that even at this time you are looking at me, without taking it I started worshiping Narayan while doing bhajan I was immersed in the love of Narayan. It has always been my wish that now I get freedom from this body and see the Lord by taking second birth, God's grace happened and one day the tooth was broken and by the grace of Narayan, Brahma's son was born in the second birth from his thumb. I remember my previous birth by the grace of the Lord and I wish at all times that I started worshiping Narayan that soon I may get his darshan, that is why in my worldly Maya and household life, being a child celibate, worshiping Hari in Sumiran. It seems to me now that when I meditate on Banke Bihari of dusky face, at the same time the savior blesses me by seeing me, in the same way as someone who comes after receiving an invitation and or the Lord knows that where in 39 people Wherever I want to go, I reach there, I am forbidden to go anywhere It is not, therefore it is Bihar ji, by describing the pastimes of God, get his grace and make your life blessed by seeing them. 


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