श्रीमत भागवत कथा सुखसागर अध्याय 4

श्रीमद् भागवत कथा सुखसागर अध्याय 4 आरंभ

बिहार जी की जन्म कथा एवं वेद पुराणों की रचना आगे की कथा का वर्णन करते हुए सूची भोले के सॉन्ग का दी रिसीव आप सभी आगे का प्रश्न जानने के लिए अति व्याकुल दिखाई दे रहे हैं कृषि गण ध्यान से सुनो हम राजा परीक्षित की कथा सुना रहे हैं यहां एक ऊंट सत्य है कि मृत्यु निश्चित है फिर भी राजा परीक्षित को सांप काटने का अत्याधिक भाई उत्पन्न हुआ और सुखदेव जी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते फिर 1 सप्ताह एक ही स्थान पर बैठकर राजा परीक्षित को कथा कैसे सुनाते रहे और श्री सुख जी राजा ने इस प्रकार पहनो पहचाना आप सभी के मन में सिर उठा रहे इन सभी प्रश्नों का उत्तर भी देता हूं मेरे गुरु वेद व्यास जी ऋषि पाराशर और देवी सत्यवती के सहयोग से द्वापर युग के अंत में अवतरित जन्म हुए इसलिए कि सद्गुरु युग में मनुष्य की आयु 100000 वर्ष और द्वापर में 1000 वर्ष होती है आयु पूरी किए बिना मनुष्य मृत्यु को कदाचित नहीं प्राप्त होता था किंतु कलयुग में मनुष्य की आयु सिर्फ 120 वर्ष की होग होगी उस पर पाप करने से अपनी आयु में पहले भी मर जाएगा उन्होंने यहां भी विचार किया कि अन्य युवाओं में लंबी आयु के कारण अपना समय यस आदि कार्यों में लगा सकें जिससे मुक्ति मार्ग खुल जाए जबकि कली युग में अल्पायु शुभ कार्यों में बाधक होती है धन का अभाव रहेगा जिसमें धर्म कार्य ना कर सकेंगे सांसारिक सुखों में डूबे रहेंगे स्त्री और धन संपत्ति इकट्ठा करने की प्रवृत्ति हमेशा उन पर बलवान रहेगी जिससे मोक्ष के बारे में सोचने का समय ही उसके पास ना रहेगा इसलिए कलयुग वासियों को सुख प्रदान करने एवं भव्य से अज्ञान और अंधकार में कृष्णा को शुभ मानते हैं यहां विचार कर उन्हें इस इच्छा से ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद बनाया जिसमें अल्पायु होते हुए कली योगी पुरुष पढ़ सकें एवं भाई सागर से पार उतर जाए चारों वेद बनाने के पीछे शुद्र व स्त्री को वेद पढ़ने के योग्य नहीं समझा तब उन चारों वेदों के सहार को लेकर महाभारत एवं सत्र पुराणों की रचना कि जिसक ध्यान करके हर कोई आसानी से उसके तत्व को समझ सके और भाव से पार हो जाए ऋग्वेद वाचक पहल ऋषि सामवेद के वाचक जैमिनी ऋषि आयुर्वेद के वाचक वेद संपन्न जी और अथर्ववेद के वाचक अंगिरा ऋषि हुए महाभारत पुराण को मेरी पिता श्री राम हर्षण जी नपढ़ा महाभारत पुराण में 100000 श्लोक हैं उन्होंने पड़ना एवं सुनना अति पूर्णिया महाभारत और पुराण बनाने के बाद विजय व्यास जी का चित्र शांत ना होने हुआ तब वह सोचने लगे कि मुझे अभी सृजन कार्य करना चाहिए किंतु कौन सी कथा की रचना करूं इसी विचार में गंगा तट पर बैठे सोच रहे थे कि देवर्षि नारद का आगमन हुआ और नारायण नारायण व्यास जी ने देवर्षि को आदर भाव से बैठाया और कुशल क्षेम पूछा

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Shrimad Bhagwat Katha Sukhsagar Chapter 4 Beginning

Describing the birth story of Bihar ji and the creation of the Vedas Puranas, the list received the song of Bhole, all of you are looking very anxious to know the next question, listen carefully, we are listening to the story of King Parikshit. Here a camel is true that death is certain, yet King Parikshit was born with a lot of snake bites and Sukhdev ji does not stay stable at one place, then how did he keep telling the story to King Parikshit by sitting in one place for 1 week and Shri Sukh ji The king recognized wearing this way, I also answer all these questions raising your head in the mind of all of you. Age is 100000 years and in Dwapar 1000 years, without completing the age, man would probably not have died, but in Kaliyuga, the age of man will be only 120 years, he will die even earlier in his age by committing sins on him, he thought here too. Said that due to the long life of other youths, their time was spent in works etc. So that the path of liberation can be opened, whereas in the Kali Yuga, short life is a hindrance in auspicious works, there will be a lack of money in which religion will not be able to work, women will be immersed in worldly pleasures and the tendency to collect wealth will always be strong on them, so that about salvation. He will not have time to think, so to provide happiness to the people of Kaliyuga and consider Krishna auspicious in ignorance and darkness, considering here, with this desire, he made Rigveda, Yajurveda, Samveda and Atharvaveda, in which Kali yogis can read while being short-lived and Brother should cross the ocean, after making the four Vedas, Shudra and woman did not consider them worthy of reading Vedas, then with the help of those four Vedas, the Mahabharata and Satra Puranas were composed so that by meditating, everyone could easily understand its element and emotion. Rigveda reader initiative, sage Jaimini sage, reader of Samveda, read Veda Sampanji, reader of Ayurveda, and Angira Rishi, reciter of Atharvaveda, read the Mahabharata Purana to my father Shri Ram Harshan ji, there are 100000 verses in the Mahabharata Purana, he read and listened Ati Purnia Mahabharata and After making the Purana, the picture of Vijay Vyas ji did not calm down, then he started thinking that I should do creation work now, but which story should I create, sitting on the banks of the Ganges thinking that Devarshi Narad had arrived and Narayan Narayan Vyas ji made Devarshi seated with respect and asked for his well being. 


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