भीष्मा जी का प्राण त्यागना श्री सूची बोले केशव का आदि रिशु पांडव एवं द्रोपति हूं को ज्ञान का उपदेश देकर भीष्म पितामह ने प्रभु का चतुर्भुज रूप अपने मन में धारण किया और प्रभु की तरफ दृष्टि डालते हुए स्तुति करने लगे हे प्रभु हे परम ब्रह्मा भगवान भक्तों की इच्छा पूर्ति और धरती से पाप का भार उतारने हेतु आप शरीर धारण करते हैं आपकी समय जिस तरह विराजमान है मुझ पर अपनी कृपा करके मेरे ब्रांड अंत तक इसी तरह बैठे रहे जिसमें कि मेरे अत्यंत समय में आपके श्री चरणों का स्मरण मुझे बने रहे आप सृष्टि की रचना से पहले भी विद्यमान थे आप भी हाय और महा प्रलय काल में भी रहेंगे आपकी माया से तीनों लोको का सृजन होता है स्थिरता बनी रहती है एवं संघ हर भी आप ही करते हैं यह ज्योतिर्मय अपने पृथ्वी को पापियों के भार से मुक्त करने के लिए अवतार लिए संसार के भक्तजन आपकी मनोहर मूर्ति का ध्यान भजन एवं चिंतन करते हुए पापों से मुक्ति पाकर भवसागर से पार हो इस प्रकार प्रभु के चरणों की स्तुति करते हुए भीष्म पितामह ने प्रभु को प्रणाम किया पिताश्री द्वारा उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त ही था तथा योग क्रिया का उपयोग करके अपने ना सवार शरीर को सरसैया पर छोड़कर प्रभु कृपा से बैकुंठ धाम को सिधार गए देव लोगों से पुष्प वर्षा होने लगी
Sacrificing the life of Bhishma ji, Shri List said, by preaching the knowledge of Keshav to Aadi Rishu, Pandav and Draupathi, Bhishma Pitamah assumed the four-armed form of the Lord in his mind and while looking towards the Lord, started praising Lord O Lord Brahma, the devotees of God. To fulfill the desire of the earth and to remove the burden of sin from the earth, you take on the body, the way your time is sitting, by your grace on me, my brand will sit in this way till the end, in which I can remember your feet in my utmost time. You were present even before the creation of the universe, you will also be there in the time of great catastrophe. Your Maya creates stability in the three worlds and you do the union every time. For the devotees of the world who took incarnation to meditate and meditate on your beautiful idol, get freedom from sins and cross the ocean, thus praising the feet of the Lord, Bhishma Pitamah bowed down to the Lord. and by using yoga kriya Flowers started raining from the people who had gone to Baikunth Dham by the grace of the Lord, leaving the body of the rider on Sarsaiyya.
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