श्रीमद् भागवत पुराण सुख सागर अध्याय 1

श्रीमद्भागवत पुराण सुखसागर अध्याय 1

88300 सहित सूची द्वारा भगवती स्तुति चक्र सुदर्शन धारी श्री कृष्ण जी का सुदर्शन चक्र जिस स्थान पर गिरा था उसी स्थान का नाम नेमी सारण पड़ा अर्थात चक्र की मेनी जहां पर श्री हुई थी उन्हें भी सारण में कली युग का प्रवेश खोज पाना असंभव है सो उस पवित्र स्थल पर 88000 ऋषि मुनि रहने लगे थे जब श्री शुरू जी का आगमन निरीक्षण में हुआ यहां उपस्थित मुनि जन अलग से भर उठे और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शुद्ध जी से निवेदन करने लगे हैं सूद जी आप तो समस्त वेद पुराणों के ज्ञाता हैं आपने श्री व्यास के पास रह कर भी अध्याय किया और आप श्रेष्ठ है कृपा करके हमें भी यह कल्याण दायक कथा सुनाएं जिसके कारण श्रवण से भवसागर पार होना अत्यंत आसान हो जाए ऋषि का विनम्र पूर्वक आगरा स्वीकार करते हुए सूची बोले फिर इसी गाने जो सब जीव जंतुओं के पालनहार है पहले करता भी वही है संपूर्ण सृष्टि का संचालन जिसके तेजबल से होता है उन्हें अद्भुत छवि वाली छवि धारी श्री केशव आनंद का ध्यान करते हुए उसके निर्गुण धर्मों का वर्णन करते हो इनमें लगे जिसके सुमिरन से दैहिक दैविक और भौतिक तीनों प्रकार के तब से मनुष्य मुक्ति पा लेता है जियो के हृदय में श्री कृष्ण हरि चरण कमलों का ब्याज हो जाता है इसलिए हे श्रोता गण श्रीमद्भागवत के समस्त वेद पुराणों का मूल मंत्र समझकर पूर्ण निष्ठा से पाठ करना चाहिए श्री सुखदेव जी ने इसी कथा रूपी को अमृत का पान राजा परीक्षित को कराया था अतः एसपीओ एवं कथा श्रवण कर रहे समस्त प्राणियों जिस प्रकार से श्री सुखदेव जी ने इस कथा रूपी अमृत को ग्रहण करके लोक कल्याण हेतु अनुसार में प्रकट किए उसी प्रकार आप सभी इस कथा रूपी अमृत रस को ग्रहण करो और अन्य बंधुओं में बात करते हुए इसमें लोक कल्याण हो ऊपर वर्णित इतिहास को सुनकर शुभकामना दी ऋषि यों ने कहा हे कृपा निधान दयासागर आप हम लोगों को आपने शिशु माने और हम पर दया भाव रखते हुए भवसागर से पार उतरने वाले उस वृत्त का वर्णन करें जो समस्त वेद पुराणों उपनिषदों महा ग्रंथ और शास्त्रों का मूल्य है अभी तक आप हम सबको वृक्ष की शाखाएं के दर्शन करा रहे थे मूल तत्व प्राप्त कर पाने से अभी तक हम सभी वंचित हैं उस पार ब्रह्मा की जिसने मृत्यु लोक में पर्वत कर देवकी के गर्भ से जन्म लिया और बलदाऊ के साथ रह कर मृत्युलोक में कौन-कौन सी लीलाओं की वर्णन करके हमें और हमारे जीवन को धन्य करने की कृपा करें यह भी बताएं कि जिस शुभ घड़ी में उन्होंने परमधाम के लिए प्रस्थान किया है उस समय धर्म को किसने शॉप कर गए

Shrimad Bhagwat Purana Sukhsagar Chapter 1

By list including 88300 Bhagwati Stuti Chakra Sudarshan Dhari The place where Sudarshan Chakra of Shri Krishna ji fell, the same place was named as Nemi Saran i.e. the place where Shri was born, it is also impossible to find the entry of Kali Yuga in Saran. 88000 sages started living at the holy place, when Shri Shuru ji's arrival came under inspection, the sages present here got filled separately and expressing happiness have started requesting Shuddh ji, Sood ji, you are the knower of all the Vedas and Puranas. Even after staying with Vyas, you did the chapter and you are the best, please tell us this welfare story, due to which it becomes very easy to cross the ocean of the universe, due to which the sage humbly accepted Agra and spoke the list, then this song which is for all living beings. The Lord is the one who does the first, He is the one who operates the entire creation with the power of his wonderful image, while meditating on Shri Keshav Anand, who has a wonderful image, describes his nirguna dharmas, engaged in them, from whose remembrance all the three types of physical, divine and material are from then on. Man attains salvation in the heart of the living Shri Krishna Hari's lotus feet become interested, so hey listeners, understanding the basic mantra of all the Vedas and Puranas of Shrimad Bhagwat, should be recited with full devotion, Shri Sukhdev ji had given this story form of nectar to King Parikshit, so SPO and listen to the story. Just as Shri Sukhdev ji took the nectar of this story and manifested it accordingly for public welfare, in the same way all of you should accept the nectar juice in the form of this story and while talking to other brothers, there should be public welfare in it. After listening to the history, the sage said, "O mercy, please consider us as your children and having compassion on us, describe the circle that crosses the ocean of the ocean, which is the value of all the Vedas, Puranas, Upanishads, great books and scriptures. Till you were showing us all the branches of the tree, we are still deprived of getting the basic element, on the other side, Brahma, who took birth from the womb of Devaki by mountain in the world of death, and living with Baldau, who in the world of death? Which pastimes can be described to bless us and our lives? Please also tell that in the auspicious time in which he has left for Paramdham, who has shopped for religion at that time. 


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